आज वर्षों पुरानी यादे ताजा हुई! कभी हिंदी की बुक मे हामिद के चिमटे की कहानी पड़ा और सुना करते थे! आज जब ब्रहस्पति कुंड मेले मे सामने आई एक ऐसी ही कहानी तब ह्रदय द्रवित हो गया!
एक गरीब पिता का लड़का जिसके रहने के लिए ठीक से घर नही है! खाना भी पर्याप्त नही! पैसे की बात ही दूर – आज बिना किसी का नाम उजागर किये हुए ऐसी ही एक कहानी जिसे आज जमीनी स्तर पर देखा है एक बालक जो बहुत अच्छे से बोल भी नही सकता था! जिसके पिता अनपढ़ थे एक -दो क्लास तक स्कूल गया फिर बोलने मे समर्थ नही था तो पढाई बंद हो गई! आज उसके पास एक भी रुपये नही थे! वह मेला नही जाना चाहता था! जब ये बात का एहसास हुआ तो जितनी मदद हो सकी वह की गई किसी व्यक्ति द्वारा, लेकिन बालक ने वे सभी पैसे अपने घर मे दे दिये ताकि कल कुछ बाजार से परिवार को खाने पीने का समान मिल सके! फिर जब उसे कोई मेला जाने के लिए वाहन नसीब नही हुआ तो निकला खाली व्यक्ति ने उसे जगह दे दी! तो वह मेला तक पहुँच गया! वहाँ पर उसके सभी दोस्त खूब खर्च करते रहे और खूब झूले का आनंद लिया लेकिन वह गरीब बेजुवाँ बालक खड़े होकर शांत मन से देखता रहा! गंदे से कपड़े पहिने और अंत मे मात्र आँखों से देखकर पुन: घर आ गया!
सोचने योग्य बात ये है कि गरीबी ने बचपना, शिक्षा, जुबान ये सब 16 से 17 वर्ष की उम्र मे छीन ली
किसी का नाम लिखने का मतलब गरीबी का मजाक हो सकता है! ऐसी कहानी अपने आस पास भी है बस अपनी नजरे से गौर करने की जरूरत और जो सक्षम या योग्य है वो ऐसे व्यक्तियों की परख कर मदद करने का मन जरूर बनाये!