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भारत विकास परिषद शाखा चंदौसी के द्वारा मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती के अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया सर्वप्रथम मुंशी प्रेमचंद जी के चित्र पर माल्यार्पण कर वंदे मातरम् के उपरांत काव्य गोष्ठी प्रारंभ की गयी सर्वप्रथम शांति सिंह राणा ने अपनी शानदार ” गीत गजलों की बरसात कराने आई हूं ” से काव्य गोष्ठी का प्रारंभ किया, तत्पश्चात सुखपाल सिंह गौर ने “सबका मन प्रफुल्लित हो ऐसे काम कर देना” हरीश कठेरिया जी ने ” मैं ही वो हामिद हूं जो तीन पैसे दादी को चिमटा लाकर खुद का ध्यान न कर सका ” डॉ जयशंकर दुबे जी ने” जिन पर गजल कहें वो बहाने नहीं रहे”, एस. डी. शर्मा ने “हैं कितने मस्त ये झोंके हवा के तेरा दामन जो छूकर आ रहे हैं” , रमेश अधीर जी ने ” संग जो भर भर जिया था संगमरमर हो गया है” गीत गाकर नौजवानों में ऊर्जा भर दी एच बी शायर ने ” मन का सूनापन नयनों में छुप जाए ये भी संभव है” गाया डॉ दुर्गा टंडन ने गाया “तुमसे मिलकर संभव है मेरा अभिमानी हो जाना”, गोष्ठी का संचालन डॉ दुर्गा टंडन ने किया गोष्ठी की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष एस. एन. शर्मा ने की इस अवसर पर नागेश गुप्ता, विपिन कुमार गुप्ता, उमेश यादव, चंदन शर्मा, नजीब ,गुड्डू, अमित साहनी, अन्नू सिंह, नवनीत यादव, अभिषेक शर्मा, पूजा शर्मा, मुकेश शर्मा आदि उपस्थित रहे

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