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आगरा लड्डू गोपाल के पाँचवें जन्मदिवस पर भक्ति भाव से ओतप्रोत ताजनगरी की सुपरिचित कवयित्री एवं शिक्षाविद श्रीमती अलका अग्रवाल के निखिल पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित दोहा संग्रह ‘अलका के कृष्ण’ का विमोचन बुधवार को यूथ हॉस्टल में संतों संग नगर के जाने-माने कवि-साहित्यकारों द्वारा किया गया।
ललिता करमचंदानी, बबीता पाठक और कंचन चौधरी के मधुर स्वर में भगवान कृष्ण की भक्ति पर आधारित भजनों की रसधार ने सबको भाव-विभोर कर दिया।
लोकार्पित दोहा संग्रह की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ कवि- साहित्यकार डॉ. आरएस तिवारी ‘शिखरेश’ ने कहा कि अलका जी का प्रभु चरणों में विनीत भाव से समर्पण, समस्त प्राणियों के कल्याण की याचना, पुनीत कर्मों की स्वीकार्यता एवं कृष्ण नाम की महिमा वर्णनातीत है।
उन्होंने कहा कि भक्ति भाव से अनुगुंजित कवयित्री का मन अपने प्रभु में इस कदर रमा है कि उसकी हर व्यथा कृष्ण जी स्वयं हर लेते हैं। एक बानगी देखिए.. “देखूँ जो मैं श्याम को, पुलकित होता गात। नैनों की भाषा पढ़े, करता मुझसे बात।”
श्रीमती अलका अग्रवाल ने अपने मन की बात साझा करते हुए कहा कि मैं 25 सितंबर, 2019 से पहले तक ईश्वर को बस ईश्वर ही मानती थी। बस उतनी ही पूजा पाठ जितनी कि दुनियादारी में उलझा एक साधारण मानव कर सकता है। फिर मेरे जीवन में एक असाधारण घटना घटी और मैं ईश्वर की माँ बन गई। 25 सितंबर, 2019 को सुबह 06 बजे मेरे जन्मदिन पर मेरी प्रिय सहेली बबीता वर्मा मेरी गोदी में अपना लाला (लड्डू गोपाल) थमा गईं। वह मेरे जीवन में कान्हा की देवकी माँ बन कर आईं और मुझे कान्हा की यशोदा माँ बना गईं।
अलका अग्रवाल ने पाँचवें जन्म दिवस पर लड्डू गोपाल से कुछ यूँ अनुरोध किया- “पाँच साल के हो गए, तुम तो कृष्ण मुरार। ऐसे ही चलता रहे, सदियों तक यह प्यार।”..

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