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 जिले के सकरिया गुनौर ककरहटी (NH-39 से NH-943) 29 किलोमीटर की सड़क जिसका निर्माण लगभग 40 करोड़ रुपये की लागत से रविशंकर जैसवाल कंपनी द्वारा किया जा रहा है! बीते दिन पन्ना जिले के लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री बी. के. त्रिपाठी द्वारा जाँच करने के बाद अपने कागजो पर सभी पैमानों को नजर करते हुए सही और गुणवत्ता पूर्ण कार्य बताया है लेकिन उन्होंने कुछ बिंदु को पूरी तरह नही बताया है! जैसे की कुछ तकनीकी शब्दो का विश्लेषण करते है!

अर्थवर्क, क्रश रन मटेरियल, डब्लू एम एम(WMM) , लैब मे टेस्ट को सही पैमाने को अगर ध्यान मे रखकर कार्य किया जाए तो सड़क मे जर्क नही लगता और यात्रा सुगम हो जाती है! 

*खुदाई, भरना, ग्रेडिंग और कॉम्पैक्टिंग कुछ ऐसी प्रक्रियाएं हैं जिनका उपयोग सड़क या राजमार्ग की नींव के रूप में किया जाता है!

*क्रशर रन मोटे और महीन का मिश्रित मिश्रण है। कुचल पत्थर और पत्थर की धूल दोनों का संयोजन एक कम शून्य सामग्री (मिश्रण में चट्टान के टुकड़ों के बीच की जगह या हवा की मात्रा) बनाता है जो इसकी संघनन क्षमता और जल निकासी विशेषताओं को मूल्यवान बना देता है

* एक बार जब सबग्रेड को काट दिया जाता है, कॉम्पैक्ट कर दिया जाता है और बना दिया जाता है, तो क्रशर रन को बॉबकैट या स्किडस्टीयर के साथ फैलाया जाता है। क्रशर रन के चार इंच बिछाए जाने के बाद, स्किडस्टीयर और जंपिंग जैक दोनों का उपयोग क्रशर रन को कॉम्पैक्ट करने के लिए किया जाता है ताकि एक मजबूत सब-बेस बनाया जा सके।

साहब ने बखूबी तरीके से नही समझाया की कौन सा मटेरियल कहाँ और कितनी मात्रा मे डालना चहिये, वो डला है या नही, शीधे उसकी मोटाइ का आकलन करना एक खाना पूर्ति समझ मे आती हुई प्रतीत होती है! पुलियों मे जिस मटेरियल का उपयोग किया है उसकी टेस्टिंग किस प्रकार मान की जाए!देखकर (रिमोट सेंसिंग ) तकनीकी से या ठेकेदार की लैब की रिपोर्ट के आधार पर या निर्माणधीन पुलिया के मटेरियल का सैंपल लाकर  फिर डब्लू एम एम मे किस मटेरियल का उपयोग करना चाहिए या उसकी कठोरता के आधार पर तथ्यों का उल्लेख करना चाहिए ताकि जिले भर के समाचार पत्रों और चैनलों मे प्रकाशित पत्रकारों को पता चल सके की गुणवत्ता की परख किस आधार पर की जाती है! क्रश रन मटेरियल की कठोरता कितनी हो और कितने एंगल मे डालना है, कितनी पानी अवशोषण क्षमता होनी चाहिए, सड़क मे कितने मोड पर कौन सा को कितने इंच या सेमी. मटेरियल होना चाहिए!हालाँकि सोशल मीडिया के माध्यम से लोक निर्माण विभाग के मंत्री राकेश सिंह को भेज दी गई है! जिसका जबाब आना बाकी है अभी

हल –  पत्रकारों को तकनीकी बिंदुओं से अवगत करवा देना चाहिए या प्रेस वार्ता का आयोजन कर , 

         लेकिन जब सड़क के निर्माण संबंधी जानकारी लेने के लिए फोन लगाया जाता है तो फोन नही उठाया जाता है जिससे द्वंद बना रहता है –  लोक निर्माण विभाग पन्ना के यंत्री बी. के. त्रिपाठी

 

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