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बिगत वर्ष जब कोरोना काल चल रहा था तब भी यूनिवर्सिटीज़ एक्टिव हुई थी जिसका नुकसान समाज के मोबाइल चलाने वाले अशिक्षित व्यक्तियों को उठाना पड़ा था! जो व्यक्ति कोरोना को जानते नही थे ! वो भी भय के शिकार हुए थे! लोगों से सोशल मीडिया के माध्यम से विभिन्न प्रकार की दवाओं औषधियों का उपयोग भी किया था!  सोशल मीडिया किसी भी प्रकार जानकारी या अन्य ज्ञान हेतु “एक वरदान साबित हुआ है , जो अपने आप मे एक खूबी है, गर्मियों के दिनों मे सदियों से चला आ रहा शब्द नौ तपा जो निश्चित रूप से गर्मी के उच्चतम शिखर का परिचायक है! जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र मे प्रवेश करता है और पृथ्वी पर सूर्य की किरणें शीधे पड़ती है तो गर्मी अधिक होती है! यथास्तिथि अनुसार मानव गर्मी को सहने की शक्ति बढ़ा लेता है या बढ़ जाती है! इस बार नौतपा 25 मई से प्रारम्भ होकर 3 जून तक चलने है! अब विभिन्न प्रकार के संदेशों का प्रचार- प्रसार सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किये जा रहे है घर से बाहर न निकले , कमरे को खुला रखे, घबराहट  तो डॉक्टर पास जाए ऐसी अफवाह को प्रसारित करने से सभी लोगो को बचना चाहिए, साधारण तौर पर भी बोला जा सकता है की सुरक्षा के साथ घर से बाहर निकले की लू न लगने पाए या मानव इतना समझदार है कि अपनी रक्षा करना जानता है लेकिन सोशल मीडिया मे गर्मी को लेकर वायरल हो रहे संदेश मानव के मस्तिष्क पर घर कर रहे है!  या कहे मानसिक रूप से डरा रहे है! फिर भी विषय विशेषज्ञों द्वारा दिया गया सुझाव ही प्रसारित करना चाहिए अन्य संदेशों पर शासन प्रशासन स्तर पर रोक लगना चाहिए! “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत”

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