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जब लोग बदल जाते है तो किस्मत क्या चीज है!

आज दुनिया मे निवासरत उन समस्त जीवों का विश्लेषण करते है जो अक्सर बदली हुई भूमिका मे नजर आते है! जड़ चेतन मे बदलाव होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो युगो से होती आई है और आगे भी होती रहेगी! लोग बदलने का तात्पर्य संपूर्ण शरीरिक संरचना से है गजब ब्रम्ह की अजब रचना की बात करते है जो अरबो खरबो पदार्थो का उपयोग करके बनी है एवम उसमे अरबो खरबो प्रक्रिया क्षण मात्र मे सम्पन्न होती है प्रक्रिया संपन्न होते समय और होने पर शरीर द्वारा क्रियाओं का अनुभव भी किया है! शरीर के अंदर ही किस्मत, परम ब्रम्ह, समस्त तत्व, समस्त प्रकार की वायु, नाडिया,  समस्त इंद्रीया, चमड़ी, माँस, रक्त, जल, इन सभी पदार्थो का जब आत्म तत्व के साथ संयोग होता है तो ऐसे उत्पाद की रचना होती है जो मानव शरीर का निर्माण कारक के साथ स्वभाव रंग उत्पन्न करते है! इस लेख मे विचार करने योग्य विषय यह है कि अगर मानव अपने अंदर किसी एक पदार्थ को भी अगर शुद्ध करने की समर्थ ग्रहण कर लेता है तो समझिये उसने महारथ हासिल कर ली है! क्योकि एक के संयोग से विभिन्न प्रक्रियाओं का स्वरूप बदलने के साथ रंग बदल जाता है! एक ही प्रकार का रंग रहे उसके लिए यह विशेष ध्यान देने वाली वस्तु है की संयोजी पदार्थ के रंग समान तो तब ही संभव है कि किस्मत बदलने से शरीर बदले अन्यथा लोग बदलते रहेगें किस्मत का चीज है!

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