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बज़्म फ़रोगे अदब की जानिब से हुआ तरही मुशायरा
…हमसे नहीं तो खैर किसी से वफ़ा करो!

खुर्शीद आलम

लखीमपुर खीरी। कस्बा खीरी में बज़्म फ़रोगे अदब सोसाइटी के द्वारा तरही मुशायरे का आयोजन हुआ जिसकी सदारत सोसाइटी अध्यक्ष आमिर रज़ा पम्मी ने की और मुख्य अतिथि मशहूर शायर इकबाल अकरम वारसी रहे।
कस्बे के मोहल्ला शेखसराय स्थित मदरसा सुल्ताने हिंद में आयोजित मुशायरे को संबोधित करते हुए अपने अध्यक्षीय भाषण में सदारती बयान में आमिर रज़ा ने कहा कि सोसाइटी का मकसद अदब को जिंदा रखना है और अदब के जरिए आवाम की खिदमत करना है। उन्होंने कहा कि यह सोसाइटी किसी एक शख्स की नहीं, बल्कि जो इस सोसाइटी से जुड़ता है वह समिति का हिस्सा बन जाता है इसके लिए सबके दरवाज़े हमेशा खुले हैं।
इस बार तरही मुशायरे के लिए दिए गए “हमसे नहीं तो खैर किसी से वफ़ा करो” मिसरे पर शायरों ने अपना कलाम सुनाया।
इकबाल अकरम वारसी ने कहा- कि तुमसे मेरा खिताब है नफरत के ताजिरों, हिम्मत अगर है फूलों से तितली जुड़ा करो।
डॉक्टर अहराज अरमान ने कहा- हरगिज पड़ोसियों को न अपने खफा करो, इस्लाम का रहा है लपक कर मिला करो l
इलियास चिश्ती ने कहा- होना जो चाहते हो जमाने में सुर्खरू, अपने कलम से नामे मोहब्बत लिखा करो।
नफीस वारसी ने कहा- कुर्बानी से जिसकी खुलते हो शेरों सुखन के बाब, ऐसे हसीन शख्स से कासदन मिला करो।
उमर हनीफ ने कहा- मुर्शिद के आस्ताने पर जाना हो जब कभी, लाजिम है उस गली में संभल कर चला करो।
नाजिम मीर ने कहा- नफरत कभी किसी की ना दिल में रखा करो, हमसे नहीं तो ख़ैर किसी से वफा करो।
सैफुल इस्लाम ने कहा – बे अख्तियार होती हैं दिल की धड़कनें,
इतने करीब होके न हम से मिल करो।
इसके अलावा सलमान सीतापूरी और शोहरत अंसारी द्वारा भेजे गए कलाम को डॉक्टर अरमान ने पढ़ा। मुशायरा का आगाज आरिफ खान और जावेद अंसारी ने नाते पाक से किया।
आखिर में समिति के सेक्रेटरी एहराज अरमान ने दिसंबर में होने वाले मुशायरे का मिसरा “होश आने लगे होश जाने लगे” दिया गया। इस मौके पर गर्जना लोग मौजूद रहे।

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