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वर्तमान शिक्षा रजिस्टर तक सीमित है जमीनी स्तर तक नही पहुँच पा रही! विभाग द्वारा 5 वी 8 वी तक के बच्चों का हाल कभी पूछना और देखना तो बनता है लेकिन कागजो पर तो भरपूर देखा जाता है स्कूल जा कर नही! प्रश्न ये है कि देखे कौन! किस को इतना समय है! ऑफिस की ठंडी हवा छोड़कर धूप मे घूमे वेतन दोनो ही कार्यो मे शासन देती है जाने मे भी और ना जाने मे भी! गिने चुने स्कूलों के कारण पूरे विभाग की बात होती! जो निष्ठा के साथ कार्य करते है उन्हे पन्ना शिक्षा विभाग ने आज तक प्रोत्साहित नही किया! अगर करते तो ठीक दर्पण कि तरह कार्य होता और वैसा बनने का अन्य शिक्षक भी प्रयास करते और संबंधित जगह के लोग शिक्षा के प्रति जागरूक होते! आज पन्ना जिले की पन्ना जनपद की शिक्षा व्यवस्था के उस सच की बात करते है जो जमीनी स्तर पर दिखाई देता है! बोलना तो सभी चाहते है व्यवस्था के ऊपर लेकिन बोले कौन ये  कर्तव्य स्वतंत्र भारत मे आज तक लोग तय नही कर पाये है! लोग करे भी कब जब अधिकार से फुरसत मिले तब! “मूक दर्शक बनकर देखना भी समाज का गर्त मे जाने का एक कारण है” कितने छात्र दर्ज है कितने पहुँच रहे उसका आकलन कौन करे! ऐसे माता पिता जिन्होंने स्वयं कभी किताबे नही देखी लेकिन बेटा बेटी को पढ़ा रहे है मजदूरी करके! या वो शिक्षक जो चहुंमुखी विकास के लिए उत्तरदाई है और उनका कर्तव्य भी! आज ग्रामीण क्षेत्र के वो बच्चे जिनके हाथ मे किताबे होनी चाहिए वो नदी मे मछलियाँ पकड़ते है! मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की शिक्षा व्यवस्था का आकलन अभी जमीनी स्तर पर नही हुआ! अगर तुलनात्मक अध्ययन किया जाए! तो प्रदेश सरकार निजी स्कूलों से ज्यादा पैसे खर्च करती है शिक्षा व्यवस्था मे अगर बात बिल्डिंग की हो तो वो भी उमदा बनी होती है! फिर क्या कारण है लोग निजी स्कूलों मे अपने बच्चों को दाखिला दिलाते है! आज इसके पीछे छिपा एक ही कारण है! कि निजी विद्यालय आगे जाने की होड करते है लेकिन कुछ सरकारी शिक्षक अपने स्कूलों मे बैठकर मोबाइल से फुरसत नही हो पाते है! बच्चों के स्तर की जाँच कक्षा बार होना चाहिए! लेकिन जिले के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ऊपर के दबाव के चलते कागज मे पूर्ति चाही जाती है! जो अधिकतर शिक्षकों की आदत बन गई है! उसे बदलने की प्रशासन किसी प्रकार की कोई कोशिस नही कर रहा है! अगर करता भी है तो जमीनी स्तर पर लागू नही होती है! आज भी शिक्षकों को लेट आना और जल्दी जाना बंद नही हुआ है! खास कर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालायो मे! जिसकी जानकारी डीपीसी को दी गई थी लेकिन आज तक साहब नही निकले अपने कार्यालय से!आज भी ऐसे स्कूल है जहाँ अग्नि शामक यंत्र अभी हाल के वर्षो मे मगवाये गये थे! जिनकी कीमत का बिल स्कूलों मे अलग -अलग राशि का लगा हुआ है! देखने वाला कौन है! कौन गौर करे! सबके कुर्शी के सामने टेबिल होती है और नीचे जगह भी होती है! कई स्कूलों के हैड मास्टर तो हिटलर शाही आज भी चला रहे! स्कूल चला रहे अतिथि शिक्षक वो अपना कार्य कर रहे है! स्कूल से दूर रहकर, शर्त अगर कोई आये तो बताना! अगर संबंधित कर्मचारी प्रशासन को खबर करता है तो निकाल देने की बात करते है! लेकिन आज भी कुछ स्कूल ऐसे है जो निजी विद्यालयों को पीछे किये है! अगले लेख मे उन सभी शिक्षकों का नाम होगा! जो शिक्षा व्यवस्था मे लापरवाही करते है!

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