चन्दौसी श्री रामलीला नाट्य परिषद चन्दौसी द्वारा अष्टमी नवरात्रि के दिन रामबाग धाम के विशाल पावन मंच पर लंका दहन की लीला का आयोजन किया गया।
आज की लीला का आयोजन स्व0 रुक्मणी देवी एवम स्व0 सेठ महेंद्र पाल जी पंसारी की पावन स्म्रति में उनके पुत्र श्री सुरेश चंद्र गुप्ता,श्री प्रकाश चंद्र गुप्ताऔर समस्त परिवार के द्वारा फीता काटकर सुभारम्भ किया गया।
आज की रामलीला में श्री राम और लक्ष्मण माता जानकी को ढूंढते हुए किष्किंधा पर्वत की ओर बढ़ते हैं जहाँ सुग्रीव उन्हें शत्रु मानकर हनुमानजी को भेष बदलकर भेद लेने के लिए भेजते हैं। हनुमानजी उनसे आने का कारण जान लेते हैं और उन्हें अपने साथ सुग्रीव के पास ले जाते हैं। सुग्रीव भी अपनी व्यथा सुनाते हैं और राम जी अपनी । दोनों एक दूसरे की सहायता करने का संकल्प लेते हैं। बाली और सुग्रीव का युद्ध होता है जहाँ राम बाली का अंत कर देते हैं और सुग्रीव को राजा बना देते हैं।
सुग्रीव अपने दल को सीता जी की खोज में चारों दिशाओं में भेज देते हैं। जहां सागर किनारे उन्हें जटायु मरणासन्न अवस्था में मिलता है और उन्हें बताता है कि सीता को रावण अपनी नगरी लंका ले गया है।
हनुमानजी सागर पार करके लंका पहुचते हैं और वहाँ उनकी भेट विभीषण से होती है वो हनुमानजी को सीता तक पहुंचने का रास्ता बतलाते हैं। हनुमानजी की मुलाकात सीता जी से होती है रावण के पुत्र मेघनाथ उनको दरबार में बांध कर ले आता है। जहाँ हनुमानजी की पूंछ में आग लगा दी जाती है। और हनुमानजी कूद कूद कर सारी लंका को आग लगा देते हैं। हनुमानजी के अभिनय में हीरालाल, सुग्रीव के अभिनय में उमंग और बाली के अभिनय मे राजबिहारी का अभिनय शानदार रहा।
श्रीरामलीला नाट्य परिषद की ओर से सभी यजमानों का माला, पटका, पगड़ी, पहना कर सम्मान किया गया। और एक श्री राम जी की प्रतिमा उपहार स्वरूप भेट की गई।
प्रधान गिरराज किशोर, उपप्रधान नवीन चौधरी, अमित अप्पू,मंत्री कपिल राजा, उपमंत्री धीरेन्द्र कुमार , कोषाध्यक्ष संजीव वार्ष्णेय, निर्देशक कन्हैया वार्ष्णेय, ओमेंद्र वार्ष्णेय, प्रमोद गुरु,राजीव वार्ष्णेय, संजीव परचूनी,आर्यन,रीतिक,उमंग वार्ष्णेय,अनमोल,सुरेंद्र,गौरव,भूमि,शिवानी राणा, प्रतीक्षा शर्मा, मदन गोपाल महेश और दिव्यांशु नारायण आदि कलाकार और पदाधिकारी मौजूद रहे। मंच का संचालन अमित अप्पू और मुकुल शर्मा ने किया।