नवरात्रि का शुभ अवसर चल रहा है जहाॅं पर मध्य प्रदेश सहित संपूर्ण भारत देश भक्ति मे सरोबोर है! अगर भक्ति की बात करे तो सगुण रूप मे दो माध्यम है पूजा के जिसमें एक ईश्वर अर्थात ( पुरुष ) दूसरा माँ ( आदि शक्ति जगत जननी जगदंबा अर्थात स्त्री स्वरूप) है! दोनों ठीक उसी प्रकार है जैसे सूर्य और सूर्य का प्रकाश, ये भक्त पर निर्भर करता है वह सूर्य को प्रकाश सहित सूर्य करता है या प्रकाश सहित को सूर्य कहता है! दोनों एक ही है सूर्य को प्रकाश से और प्रकाश से सूर्य को जाना जाता है! लेकिन माँ की भक्ति बहुत सरल है और माँ हमेशा अपने पुत्र का पक्ष लेती है! दुःख आने ही नही देती है इसलिए माँ की भक्ति श्रेष्ठ है! मानव जीवन के लिए, फिर जहाँ मन रमण करने लगे वह सबसे श्रेष्ठ है! माँ का निवास स्थल विंध्य शृंखला को बोला गया है जिसका वर्णन पुराणो मे मणिदीप पर्वत के रूप मे किया गया है! विंध्य श्रृंखला का महत्व उन शेष सभी तीर्थों के के महत्व के बराबर है जहा ईश्वर अर्थात पुरुष रूप मे भगवान् की भक्ति के लिए विख्यात् है ठीक उसी प्रकार जैसे प्रकाश के बिना सूर्य नही सूर्य के बिना प्रकाश नही लेकिन साझेदारी बराबर कि! विंध्य पर्वत के आस पास रहने वाले मानव सहित जीव जंतु मे प्रेम की गणना की जाए तो अन्य स्थानो की अपेक्षा अधिक मिलेगा! विध्य पर्वत पर ऐसा सभी पौधे मिलेंगे जो माँ आदि शक्ति जगत जननी से संबंधित है! माँ अंबिका की भक्ति की तृप्ति तभी होती है जब वह विध्य मे शरण लेता है! अन्यथा भक्ति अधूरी रह जाती है! संपूर्ण संसार को शक्ति की आवश्यकता होती है शक्ति के बिना कुछ भी संभव नही है इसलिए कह सकते है कि विध्य मे शक्ति है इसलिए यहाँ के सभी निवासी बहुत भाग्यशाली है!