सेंट जोसेफ स्कूल की बस में निर्धारित संख्या से अधिक बच्चों को ढोया जा रहा।
*बारा/प्रयागराज: स्कूल बसों के संचालन का मानक ताक पर है। बच्चों की सुरक्षा के सभी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। स्कूल-प्रबंधन हो या फिर वाहनों के स्वामी अथवा इनकी निगरानी की जिम्मेदारी संभाल रहे उपसंभागीय परिवहन निगम के अफसर सभी बच्चों की सुरक्षा से खेल रहे हैं। न तो इनके फिटनेस की नियमित जांच होती है न ही उच्चतम न्यायालय की गाइड लाइन के अनुसार जरूरी उपाय वाहनों में किए गए हैं।*
*प्रयागराज के शंकरगढ़ में सेंन्ट जोसेफ की बस मे सीट मानक से अधिक बच्चे ढो़ये जा रहे हैं।स्कूली वाहन संचालन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।*
*स्कूल प्रबंधन और वाहन संचालक सभी पुराने ढर्रे पर ही वाहनों का संचालन शुरू किए है।बसों के चालक और परिचालक का नाम भी अंकित नही है। वाहनों में बच्चे निर्धारित संख्या से ज्यादा भरकर ढोए जा रहे हैं।अंदर अग्निशमन यंत्र तक नहीं हैं।सीट आदि भी अच्छे हालात में नहीं हैं। ऐसे ढोए जा रहे हैं बच्चे।*
*बस में ही नहीं वैन में भी ठूंस-ठूंस कर बच्चे ढोए जा रहे हैं। एक के ऊपर एक बैठे इन बच्चों के साथ ईश्वर न करें कोई बात हो जाए,पर इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसके ऊपर है? ये वाहन भी फिटनेस की कसौटी पर खरे नहीं हैं। किसकी अनुमति से इनका संचालन हो रहा है। यह यक्ष प्रश्न अभिभावकों के समक्ष है। प्रशासनिक अधिकारी भी इस मुद्दे पर मौन साधे रहते हैं।*
*वाहन चालक को पांच वर्ष का अनुभव हो। सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था हो। बस में अग्निशमन यंत्र हो। बस के दरवाजे तालेयुक्त हों। प्राथमिक उपचार के लिए फर्स्टएड बाक्स हो। स्कूली बसों में चालक व परिचालक के साथ उनका मोबाइल नंबर लिखा हो। प्रत्येक वाहन में स्पीड गर्वनर और चालू हालत में सीसीटीवी कैमरा हो। जीपीएस सिस्टम लगा हो। छात्राओं के लिए बस में महिला सहायिका हो। इसके अलावा भी कई निर्देश परिवहन निगम के भी हैं। जिसका उल्लंघन स्कूली वाहन संचालन में किया जा रहा