कपिल मिश्रा: रैपुरा तहसील
शाहनगर पन्ना: आदिवासी दलित क्रांति सेना (बुंदेलखंड) के संयोजक केपी सिंह बुंदेला ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि 19 नवंबर को शाहनगर मैं वन अधिकार को लेकर के आदिवासी किसानों के साथ जो अत्याचार वन विभाग शाहनगर द्वारा किया गया था उसके खिलाफ शाहनगर हाईवे रोड पर चक्का जाम किया गया जिसमें भाजपा छोड़ समस्त दलों का सहयोग प्राप्त हुआ था चक्का जाम में तहसीलदार शाहनगर ने आश्वासन दिया था की ज्ञापन अनुसार 15 दिवस में निराकरण कर दिया जाएगा परंतु प्रशासन शाहनगर की कार्य-प्रणाली से दिख रहा है कि समय में निराकरण नहीं होगा ज्ञापन में प्रमुख रूप से तीन बिंदु पर मांग की गई थी पहली मांग थी की पगरी ग्राम के किसानों की जो फसल वन विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर जेसीबी मशीन से फसल का नुकसान किया गया है उसका आदिवासी किसानों को मुआवजा दिलाया जाए।
दूसरी मांग वन विभाग में पदस्थ परिक्षेत्र अधिकारी का दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्यवाही करते हुए स्थानांतरण किया जाए।
महिला थानेदार शाहनगर ने 7 नवंबर को आदिवासियों ने शिकायत दर्ज करने पहुंचे परंतु सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन न करते हुए आदिवासियों की शिकायत नहीं ली गई। चक्का जाम के समय थाना प्रभारी को शिकायत दी गई जो उन्हें हजारों आदिवासियों के सामने अपना पक्ष रखते हुए थाना प्रभारी ने कहा मेरे पास कोई रिपोर्ट नहीं आई थी जिसे आदिवासियों ने नाकारा और सामने खड़े होकर कहा हम लोग आपसे मिले थे और आवेदन लिखित में सामने रखा था जो आपने नहीं लिया कहा कि यह जो अतिक्रमण हटाया गया है वह वन विभाग की जमीन थी बगैर सोचे समझे सावंत सही निर्णय कर के आदिवासियों को थाना से हटा दिया गया। शाहनगर प्रशासन वन अधिकार का पोर्टल बंद है इसके बाद ही कार्यवाही होगी प्रशासन बचना चाहती है संगठन का कहना है पोर्टल खुल ही होगा मध्य प्रदेश शासन को लेकिन जो वन विभाग द्वारा अत्याचार किया गया है आदिवासी किसानों की फसल का नुकसान एवं वन परिक्षेत्र अधिकारी थाना प्रभारी शाहनगर के विरुद्ध कार्यवाही करें।
चक्का जाम के समय संगठन ने15 दिन का प्रशासन को समय दिया गया था कुछ ही दिनो में समय पूर्ण होने को है परंतु प्रशासन ने अभी तक जांच की कार्यवाही शुरू नहीं की है।
जिसको देखते हुए लग रहा है कि प्रशासन शांत इस मामले में बैठा है। मैं प्रशासन को अगाह करना चाहता हूं कि समय के मुताबिक मांगों पर विचार कर लिया जाए राजनीतिक दलों की तरह इस मुद्दों को ना ले यह सामाजिक संगठन आदिवासी दलित क्रांति सेना (बुंदेलखंड) एक सामाजिक संगठन है इसे राजनीति से कोई लेना देना नहीं है हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि प्रशासन जागे और गरीब आदिवासियों दलितों को उनका हक मिल सके केपी सिंह बुंदेला संगठन संयोजक ने चेतावनी देते हुए प्रशासन को अगाह किया है की समय पर निराकरण नहीं किया गया तो कलेक्टेट का होगा घेराव और निर्णय करना ही पड़ेगा नहीं तो घिराव लगातार जारी रहेगा हजारों आदिवासी के साथ संगठन जेल जाने को तैयार है प्रशासन इसकी भी व्यवस्था कर ले गिराओ में भाजपा छोड़ सभी दलो के साथियों का संगठन को समर्थन प्राप्त है।