आज कल अधिकतर मानव रागी है क्योकि बुद्धि मोह मे और मन भ्रम मे है! जब विवेक आता है तो बुद्धि का मोह और मन का भ्रम दूर होने लगता है! विवेक मात्र सत्संग से आता है सत्संग का अर्थ किसी संत के साथ बैठकर सत् और असत का निराकरण करना! जब निराकरण हो जाता है तो मानव पुन: अपने मे वापस चला जाता है अर्थात् जहाँ से उसकी उत्पत्ति हुई है उसी से अनुराग करने लगता है! अनुराग की उत्पत्ति तब ही होती है जब बुद्धि का मोह और मन का भ्रम दूर हो जाता है! तब मानव किसी और ओढ़े हुए वस्त्र को न देखकर अपने से भिन्न स्वरूप को देखता है!