शनि देव की व्रत कथा एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है, जिसमें शनि देव के प्रकोप और उनकी पूजा के महत्व को बताया गया है। यह कथा राजा विक्रमादित्य से जुड़ी हुई है, जो अपनी न्यायप्रियता और साहस के लिए प्रसिद्ध थे।
एक समय स्वर्गलोक में नौ ग्रहों के बीच विवाद हो गया कि उनमें से सबसे बड़ा कौन है। इस विवाद को सुलझाने के लिए वे राजा विक्रमादित्य के पास पहुंचे। राजा विक्रमादित्य ने एक चतुराई भरा समाधान निकाला और विभिन्न धातुओं के नौ आसन बनवाए। उन्होंने देवताओं को अपने-अपने आसनों पर बैठने को कहा, जिससे यह तय हो गया कि जो सबसे पहले सिंहासन पर विराजमान है, वही सबसे बड़ा है।
शनि देव सबसे पीछे बैठे थे, जिससे उन्हें अपमानित महसूस हुआ और उन्होंने राजा विक्रमादित्य को अपने प्रकोप का शिकार बनाने का फैसला किया। शनि देव के प्रकोप के कारण राजा विक्रमादित्य को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जैसे कि उनका अपहरण, हाथ-पैरों का कटना, और एक तेली के कोल्हू पर काम करना।
लेकिन राजा विक्रमादित्य की किस्मत अच्छी थी और उनकी मुलाकात राजकुमारी मोहिनी से हुई, जिसने उनके मेघ मल्हार गाने को सुनकर उनसे विवाह करने का फैसला किया। शनि देव के प्रकोप के समाप्त होने पर राजा विक्रमादित्य को उनका असली रूप वापस मिल गया।
इस कथा के अनुसार, शनि देव की पूजा करने और शनिवार को व्रत रखने से उनके प्रकोप से बचा जा सकता है और सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। राजा विक्रमादित्य ने अपने राज्य में घोषणा करवाई कि सभी लोग शनिवार को शनि देव का व्रत करें और उनकी व्रत कथा सुनें।
*शनि देव की पूजा के लाभ:*
– *शनि देव के प्रकोप से बचाव*: शनि देव की पूजा करने से उनके प्रकोप से बचा जा सकता है।
– *सुख-समृद्धि की प्राप्ति*: शनि देव की पूजा करने से सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
– *भाग्य में सुधार*: शनि देव की पूजा करने से भाग्य में सुधार हो सकता है।
*शनि देव की पूजा कैसे करें:*
– *शनिवार को व्रत रखें*: शनिवार को व्रत रखने से शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
– *शनि देव की पूजा करें*: शनि देव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।
– *व्रत कथा सुनें*: शनि देव की व्रत कथा सुनने से उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। ¹