तलाक़ के दस साल बाद वे दोनों एक शादी मे मिले। नीरज ने निशा को अकेली देखा तो वह उसके पास कुर्सी पर जाकर बैठे गया। काफी देर तक दोनों एक दूसरे को देख कर अनदेखा करते रहे। दोनों ने सात वर्ष साथ गुजारे थे। झगड़ों के अलावा कुछ मिठी यादें भी दोनों के दिलो मे बसी हुई थी। आखिर नीरज ने ही बात शुरू की ” कैसी हो? ” निशा अभिमान के साथ बोली ” मजे मे हूँ। दूसरी शादी को नौ साल हो गए है। दो बच्चे भी है। ” नीरज ने गौर से उसका चेहरा देखा। वह पहले से बहुत ज्यादा दुबली पतली हो गई थी। चेहरे पर जरा भी रौनक नही थी। ना शरीर पर महंगे कपड़े थे। वह सोचने लगा कि जब उसके साथ रहती थी तब कितनी सुंदर थी। नीरज को अपनी और ताकते देखकर वह दूसरी तरफ देखने लगी। फिर खुद को नियंत्रित करते हुए बोली ” तुम कैसे हो? और हमारा बच्चा कैसा है? नीरज भी अकड़ के साथ बोला ” मै भी मजे मे हूँ। दूसरी शादी को 6 वर्ष हो गए है। एक बेटी भी है। और हमारा बन्टी अब नौवी कक्षा मे हो गया है।। ” मेरी पत्नी भी बहुत अच्छी है हम दोनों बहुत खुश है।” ये सुनकर निशा को जलन हुई। मगर उसने चेहरे पर उजागर नही होने दिया। मगर उसने गौर से नीरज का चेहरा देखा। ऐसे लग रहा था जैसे चालीस साल की उम्र मे बूढ़ा हो गया हो। सर के सारे बाल सफेद हो गए थे। डाई के कारण ऊपर से काले थे मगर नीचे जड़ों मे सफ़ेदी साफ दिख रही थी। पेट भी काफी निकल आया था। फिर वे काफी देर तक चुपचाप बैठे रहे। शादी के कार्य क्रम मे दोनों दिन भर करीब ही रहे। मगर बातें और नही हो पाई। मगर जब दोनों अपने अपने घर जाने की तैयारी कर रहे थे तब नीरज निशा के पास आया और बोला ” एक बात कहूँ? ” निशा बोली ” क्या? ” वह उदास होकर बोला ” जिंदगी वही थी जो तेरे साथ गुजरी। अब तो दिन काट रहा हूँ। ” इतना सुनते ही निशा के दिल मे खुशी और दुख का मिलाजुला गुब्बार सा फूटा। ऐसे लगा जैसे गले मे कुछ फंस गया हो। वह आँसुओ को जबरन रोकते हुए बोली ” मै भी पछता रही हूँ। एक शराबी और गन्दा आदमी पल्ले पड़ गया है। रो रोकर दिन काट रही हूँ। ” नीरज ने भर आई आँखों का पानी छुपाने के लिए मुँह दूसरी तरफ कर लिया। फिर बोला ” हम दोनों मुर्ख थे। जो छोटी छोटी बातों को बड़ी बनाकर अलग हो गए। मै आज तुम्हे इतना ही कहना चाहता हूँ कि तुम बहुत अच्छी हो। तुम्हारे साथ गुजरे लम्हो की यादों मे दिन बिता रहा हूँ। निशा रो पड़ी । रोते रोते बोली ” मै भी उन्ही पलो को याद करके जी रही हूँ। ” कह कर उसने बैग उठाया और चल पड़ी। नीरज उसे तब तक देखता रहा जब तक वह आँखों से ओझल न हो गई।