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नई दिल्ली। आगामी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने तैयारियां तेज कर दी हैं।

इसी के चलते यूपी में भाजपा ने क्लीन स्वीप की रणनीति तैयार कर ली है। पिछले कई दिनों से भाजपा और जयंत चौधरी की आरएलडी के बीच गठबंधन की चर्चा चल रही थी। अब दोनों तरफ से इसे लेकर साफ इनकार कर दिया गया है। भाजपा को आरएलडी की तुलना में मायावती की बसपा ज्यादा मुफीद लग रही है। पूर्वी यूपी में भाजपा ने सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान को अपने साथ लाकर पहले ही अपनी स्थिति मजूबत कर ली है। अब उसके निशाने पर पश्चिमी यूपी है। भाजपा नेताओं का मानना है कि आरएलडी के जाट वोट पहले से ही बीजेपी के साथ हैं।

विधानसभा से लेकर निकाय चुनाव में जाट वोट भाजपा को मिलते रहे हैं। बसपा से गठबंधन कर भाजपा एक तीर से दो निशाने मारने की कोशिश में है। पिछले चुनाव में बसपा ने पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर जोरदार उपस्थिति दर्ज की थी। इसका पूरा फायाद बसपा और भाजपा दोनों को मिलेगा। इसके साथ ही बसपा से गठबंधन हुआ तो सपा के साथ आरएलडी का भी खेल बिगड़ जाएगा। बसपा के साथ सीटों का तालमेल भी भाजपा में तय कर लिया गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा को उसकी जीती हुई सीटें देने पर पार्टी नेता सहमत हैं। बसपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में दस सीटें जीती थीं। 2012 में सपा ने बसपा को हराकर यूपी की सत्ता हथिया ली थी। 2014 के लोकसभी चुनाव में भाजपा की सुनामी चली और सपा ने पांच सीटें जीतीं लेकिन बसपा बुरी तरह हार गई। उसे 2017 में वापसी की उम्मीद थी लेकिन लगातार तीसरी हार के बाद उसने 2019 में सपा सेगठबंधन किया। उसे दस लोकसभा सीटों पर जीत भी मिली।

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