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*डॉक्टर से होगी 1 करोड़ की वसूली, डीएम ने कार्रवाई के दिए आदेश
बरेली। नवाबगंज तहसील के सेंथल के जामा मस्जिद निवासी डाॅo मोहम्मद यासीन से एक करोड़ रुपए की वसूली की जाएगी। डॉक्टर ने पीजी पाठ्यक्रम एक साल पहले पूरा करने के बाद स्वास्थ्य विभाग में योगदान करने से संंबंधित रिपोर्ट नहीं दी और तैनाती स्थल शाहजहांपुर के तिलहर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्साधिकारी पद से लगातार अनधिकृत रूप से अनुपस्थित भी हैं। महानिदेशक प्रशिक्षण चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डाॅo सुषमा सिंह ने डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। आदेश की प्रति मुख्यमंत्री को भी भेजी है। इसके अलावा डॉक्टर से एक करोड़ रुपये की भू-राजस्व की भांति वसूल करने के लिए जिलाधिकारी को आदेश भेजा है।
महानिदेशक प्रशिक्षण की ओर से जिलाधिकारी को भेजे गए आदेश में कहा है कि डाॅ. मोहम्मद यासीन चिकित्साधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तिलहर ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी शाहजहांपुर के पत्र से नीट पीजी-2020 प्रवेश प्रक्रिया में सम्मिलित होने के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था। इसके साथ एक कराेड़ रुपये की धनराशि का बांड 17 फरवरी 2020 भी संलग्न किया। इस पर आवेदक के अतिरिक्त गवाह में डिफेंस काॅलोनी, एयरफोर्स गेट के पास रहने वाले डाॅक्टर के भी हस्ताक्षर हैं। डाॅ. मोहम्मद यासीन का पीजी अध्ययन के लिए चयन हुआ। प्रशिक्षण प्रकोष्ठ नीट पीजी की ओर से 16 जून 2020 को डाॅ. मोहम्मद यासीन को पीजी अध्ययन के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किया गया।
इनके द्वारा पीजी पाठ्यक्रम वर्ष 2023 में पूर्ण करने के बाद विभाग में योगदान रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गयी और महानिदेशालय तैनाती स्थल से अनधिकृत रूप से अनुपस्थित चल रहे हैं। इस वर्ष 27 अक्टूबर और 7 नवंबर को इनको सेवा में योगदान करने या एक करोड़ रुपये की धनराशि राजकीय कोष में जमा करने के निर्देश दिए गए थे लेकिन इन्होंने न सेवा में योगदान दिया गया और न ही धनराशि राजकीय कोष में जमा की है। इस पर 28 नवंबर को डाॅ. यासीन से एक करोड़ रुपये की वसूली भू-राजस्व की भांति जारी करने का आदेश जारी किया गया है।
उत्तर प्रदेश शासन चिकित्सा अनुभाग-3 के शाासनादेश, 3 अप्रैल 2017 और शासनादेश 25 मई 2017 में यह व्यवस्था निर्धारित की है कि प्रदेश में चिह्नित असेवित सुदू, दुर्गम क्षेत्र के सामुदायिक या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्य करने वाले चिकित्साधिकारियों को एमसीआई रेगुलेशन-2000 के प्राविधानों के तहत स्नातकोत्तर चयन प्रक्रिया में (नीट पीजी पाठ्यक्रम) एक वर्ष कार्य करने के सापेक्ष 10 प्रतिशत, दो वर्ष करने के सापेक्ष 20 प्रतिशत और तीन वर्ष या उससे अधिक कार्य करने पर 30 प्रतिशत वेटेज (भारांक) प्रदान किया जाएगा।
ऐसे चयनित चिकित्साधिकारियों को असाधारण अवकाश स्वीकृत होगा। चिकित्साधिकारियों को अपने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पूर्ण करने के बाद मूल तैनाती स्थान पर योगदान कर 10 वर्ष निरंतर सेवा करनी आवश्यक होगी। विचलन की दशा में उनको एक करोड़ की धनराशि राज्य सरकार को अदा करनी होगी। पाठ्यक्रम में जाने से पूर्व आवेदकों द्वारा इस आशय का बांड विभाग का उपलब्ध कराना होगा।

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