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*आकाशीय बिजली गिरने के जोखिम न्यूनीकरण के उपाय*

*बिजली गिरना वैश्विक आपदा*

वज्रपात की सूचनाओं का पालन करे

इस बार कड़ी गर्मी और आकाशीय बिजली पहले ही कहर ढा रही है। मार्च से जून, 2025 के बीच भारत के 12 राज्यों में बिजली गिरने से 182 लोग मार गए। यह पिछले साल के दर्ज की गई 57 मौतों की तुलना में 184 फीसदी की चौंका देने वाली बढ़ोतरी है। इस बार अप्रैल के पहले 17 दिनों में ही 142 मौतें हुईं, जबकि बीते साल केवल 28 मौतें हुई थीं। गर्मी में बिजली से मरने वालों की सबसे अधिक संख्या बिहार के इलाकों में है। हर साल बिजली गिरने से औसतन 2,500 मौत होती हैं, लेकिन इसे अब तक प्राकृतिक आपदा घोषित नहीं किया गया है। यह समझना होगा कि जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन का प्रकोप गहराएगा, ठनका या बिजली गिरने की घटनाएं भी बढ़ेंगी। भारत में लाखों बार बिजली गिरती है। साल 2022 में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हुई कुल 8,060 मौतों में से 2,887 की वजह बिजली ही थी।
भारतीय मौसम विभाग चेतावनी दे चुका है कि आने वाले साल दर साल प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं बढ़ेंगी और इनमें बिजली गिरना प्रमुख होगी। अब तक देश भर में सिर्फ सात राज्यों ने बिजली पर नीतियां और कार्य योजना बनाई हैं। बिजली गिरने के लिहाज से सबसे संवेदनशील मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार, बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु सहित उत्तरी और उत्तर पूर्व. के राज्यों ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निर्देश के बावजूद आज तक कोई कार्य योजना नहीं बनाई है।
बिजली गिरना वैश्विक आपदा है। अमेरिका में हर साल बिजली गिरने से तीस, ब्रिटेन में औसतन तीन लोगों की मृत्यु होती है, लेकिन भारत में यह आंकड़ा दो हजार से अधिक है। इसका मूल कारण है कि हमारे यहां बिजली के पूर्वानुमान और चेतावनी देने की व्यवस्था पूरी तरह विकसित नहीं हो पाई है। बिजली गिरने के दौरान नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है और यह घातक ग्रीनहाउस गैस है। जैसे-जैसे धरती गर्म हो रही है, उतनी ही बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसकी पुष्टि 2018 में हुए एक वैज्ञानिक शोध में भी हुई। हाल ही में जिन इलाकों में बिजली गिरी, उनमें से बड़ा हिस्सा धान की खेती का है, ‘जहां धान के लिए पानी एकत्र किया जाता है, वहां से ग्रीनहाउस गैस मीथेन का उत्सर्जन अधिक होता है। मौसम जितना अधिक गर्म होगा, जितनी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित होंगी, उतनी ही अधिक बिजली, अधिक ताकत से धरती पर गिरेगी। धरती की गर्मी को नियंत्रित करने के साथ ही सरकार और सामुदायिक स्तर पर बिजली से बचाव के उपाय करना जरूरी है।
आमतौर पर बिजली गिरने की घटना दिन में ही होती हैं। इससे बचने के लिए, यदि तेज बारिश हो रही हो और बिजली कड़क रही हो, तो ऐसे में पानी भरे खेत के बीच में, किसी पेड़ के नीचे, पहाड़ी स्थान पर जाने से बचना चाहिए। ऐसे समय में मोबाइल का इस्तेमाल भी खतरनाक होता है।
पहले लोग अपनी इमारतों में ऊपर एक त्रिशूल जैसी आकृति लगाते थे, जिसे तड़ित-चालक कहा जाता था, उससे बिजली मिरने से काफी बचत होती थी, असल में उस त्रिशूल आकृति से धातु का एक मोटा तार या पट्टी जोड़ी जाती थी और उसे जमीन में गहरे गाड़ा जाता था, ताकि बिजली उसके माध्यम से नीचे उत्तर जाए और इमारत को नुकसान न हो।
आमतौर पर वज्रपात होने सबसे अधिक संभावना ऊंचे इलाके जैसे पहाड़, ऊंचे पेड़ पर होती है, जहां पानी अधिकांश मात्रा में उपलब्ध हो, बिजली के लिए पानी एक कंडक्टर के रूप में काम करता है। इसलिए पानी के स्त्रोत के आसपास वज्रपात होने का खतरा अधिक होता है। परिवार, समुदाय, बच्चों आदि के साथ वज्रपात और उसके प्रभाव पर चर्चा करें। घर के पास लगे पेड़ों की छटाई करें। ऊँची इमारतों पर तड़ित चालक यंत्र स्थापित करें। बिजली देखने के बाद, 30 तक गिनना शुरू करें। यदि आपके 30 तक पहुँचने से पहले गड़गड़ाहट सुनाई दे तो तत्काल घर के अंदर जाएँ। गड़गड़ाहट की आखिरी आवाज़ के बाद कम से कम 30 मिनट के लिए बाहरी गतिविधियों को स्थगित करें।
बिजली चमकने/आंधी आने पर पेड़ के नीचे से हट जायें। ऊँचे क्षेत्रों जैसे पहाड़ियों और चोटियों से तुरंत उतर जाएं। आश्रय के लिए कभी भी चट्टान का उपयोग न करें, किसी पेड़ के नीचे आश्रय न लें। बिजली गिरने के दौरान कभी खुले मैदान या खेत मे न खड़े हों। ऊँची इमारतें व ऊँचे अकेले पेड़ पर वज्रपात एक से अधिक बार हो सकता हैं।
यदि आप खुले स्थान पर हैं तो जल्द से जल्द किसी पक्के मकान में शरण लें। खेत खलिहान में काम करने के दौरान बिजली गिरे और आप किसी सुरक्षित स्थान की शरण न ले पाएं तो सबसे पहले आप जहां है वहीं रहें, हो सके तो पैरों के नीचे सूखी चीजें जैसे लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख लें। दोनों पैरों को आपस में सटा लें। दोनों हाथों को घुटनों पर रख कर अपने सिर को जमीन को तरफ झुका लें। अपने कान बंद करें और सिर को जमीन से न सटने दें। जमीन पर कभी भी न लेटें। यदि समूह में हैं तो दूर-दूर रहें।
यदि आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो अपने वाहन में ही रहें। यदि आप जंगल में हों, तो छोटे एवं घने पेड़ों की शरण में चले जायें। बिजली की सुचालक वस्तुएं एवं धातु से बने कृषि यंत्र, डंडा आदि से अपने को दूर कर लें। अगर आप घर पर हैं तो खिड़कियों, दरवाजे, बरामदे के समीप और छत पर न जायें। दरवाजे, खिड़कियाँ, धातु की बाल्टी और नल इत्यादि से दूर रहें। साइकिल, मोटरसाइकिल या कृषि वाहन इत्यादि बिजली को आकर्षित कर सकते हैं, इसलिए इनसे उतर जाएं अथवा दूर रहें। पानी का नल, फ्रिज, टेलीफोन आदि को न छूएं। कंप्यूटर, लैपटॉप, रेफ्रिजरेटर, टेलीविजन, कूलर, एयर कंडीशनर एवं अन्य बिजली से चलने वाले उपकरणों को बंद कर दे। पानी सम्बंधित गतिविधियाँ जैसे नहाना, बर्तन व कपड़े धोना, पानी भरना आदि को स्थगित कर दें। तालाब, नदी तट, आदि जैसे जल निकायों से दूर रहें। क्योंकि बिजली धातु के पाइप के माध्यम से यात्रा कर सकती है। तूफान के दौरान, अपने वाहन में तब तक बने रहें जब तक कि मदद न आ जाए या तूफान गुजर न जाए। वज्रपात के बाद घर के अंदर तब तक रहें जब तक कि आसमान साफ न हो जाए।
अगर कोई व्यक्ति वज्रपात की चपेट में आ गया है तो, स्थानीय प्रशासन को क्षति और मृत्यु की जानकारी दें। आकस्मिक स्थिति में किसी भी मरीज को एंबुलेंस द्वारा स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचाने के लिए फ्री में राज्य हेल्पलाइन नंबर 108 टोल फ्री पर कॉल करें। यथाशीघ्र पीड़ित को अस्पताल ले जाएं। मानव शरीर विद्युत आवेश को संचित नहीं करता है। अतः प्रभावित व्यक्ति के शरीर को स्पर्श करना पूरी तरह से सुरक्षित है। आग लगने की स्थिति में 112 या 101 पर कॉल करें। स्थानीय मौसम पर नजर रखें। रेडियो/टीवी एवं अन्य संचार साधनों से मौसम की जानकारी प्राप्त करते रहें। प्रशासन की ओर से जारी चेतावनी को नजरअंदाज न करें।
भारत सरकार ने वज्रपात से पहले अलर्ट देने के लिए दामिनी ऐप लॉन्च किया है। जिनके पास स्मार्ट मोबाइल फोन है, वे सभी दामिनी एप डाउनलोड करें व उससे प्राप्त वज्रपात की सूचनाओं का पालन करें और अपने आस-पास के लोगों तक पहुंचाएँ। यह ऐप मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक आम लोगों के साथ-साथ किसानों के लिए भी फायदेमंद है।

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