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आज एक जीते जागते सत्य से आप को रूबरू कराने का प्रयास करते है! रेलवे स्टेशन मे लाल वस्त्र पहने घूम रहे व्यक्ति को हमारे समाज ने एक नाम दिया है,जिसे कुली कहते है! लेकिन अगर कुली की कार्य शैली का अध्यन करे तो पता चलता है की वह लगभग 10 मिनट मे एक व्यक्ति के समान को आटो टैक्सी तक पहुँचाने के बाद किसी अन्य की आवाज को सुनता है और पुनः समान लेकर किसी अन्य व्यक्ति का चल देता है! बार -बार बोझा ढोने से पहले उसे 10 से 5 मिनट का विश्राम भी मिल जाता है! जब वह रात्रि मे सोता है तो बोझा का त्याग कर निश्चिंत सोता है उसे खूब नींद आती है! लेकिन कुली के अलावा पूरी जिंदगी बिना विश्राम किये बोझा ढोने वाला मानव को किसी ने कुली नही कहा जबकि रात्रि की नींद मे भी बोझा लिए ही सोता है! इसलिए अगर किसी को किसी विशेष प्रकार के शब्द से विभूषित किया जाता है तो निश्चित रूप से उसमे कोई विशेष गुण विधमान है जो अन्य मे नही पाया जाता है! तो ये सभी का शोभाग्य है नही तो कुली को छोड़कर पूरी दुनिया कुली है और कुली विशेष है! मेरा लेख का अर्थ किसी व्यक्ति विशेष से नही है एक छोटी सी सीख से संबंधित है

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