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लखीमपुर खीरी | श्रमिक उजाला | संवाददाता: पीयूष दीक्षित

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में स्थित गोला गोकरननाथ मंदिर, जिसे श्रद्धा से ‘छोटी काशी’ कहा जाता है, इन दिनों लाखों शिवभक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

पौराणिक मान्यता है कि रावण जब भगवान शिव को लंका ले जा रहा था, तो इसी स्थान पर थोड़ी देर विश्राम करने हेतु शिवलिंग को धरती पर रख दिया।
और तभी से भगवान भोलेनाथ इस पवित्र धाम में विराजमान हो गए।

यहाँ के शिवलिंग को ‘स्वयंभू शिवलिंग’ माना जाता है। श्रद्धालु इन्हें प्रेम और श्रद्धा से ‘गोला वाले भोलेनाथ’ कहते हैं।

🕉️ सावन में भक्तों का उमड़ा जनसैलाब
हर वर्ष सावन के पवित्र महीने में यहाँ आस्था का सागर उमड़ पड़ता है।
देश के कोने-कोने से लाखों कांवड़िए नंगे पैर गंगाजल लाकर गोला गोकरननाथ धाम में भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं।

यहाँ की मान्यता है कि —
“जो भक्त सच्चे मन से भोलेनाथ को जल चढ़ाता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।”

  1.   छोटी काशी का गौरव
    गोला गोकरननाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, यह एक संस्कृति, परंपरा और श्रद्धा की मिसाल है।
    यहाँ आने वाला हर भक्त यही कहता है —
    “हर हर महादेव! बोल बम!”

मंदिर की गलियों से लेकर पूरे शहर तक, सावन में सिर्फ एक ही नारा गूंजता है — ‘बोल बम’।

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