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दैनिक श्रमिक उजाला समाचार पत्र

भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में रामायण को अमूल्य रत्न माना गया है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित और गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा चौपाई छंद में प्रस्तुत श्रीरामचरितमानस में भगवान श्रीराम के दिव्य चरित्र का वर्णन है। यह महाकाव्य न केवल भक्ति और धर्म का आदर्श प्रस्तुत करता है, बल्कि मनुष्य जीवन को आदर्श मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है।

 

नीचे प्रस्तुत हैं रामचरितमानस की कुछ सर्वश्रेष्ठ चौपाइयाँ और उनके भावार्थ, जो आज भी समाज के लिए पथ-प्रदर्शक हैं :

👉 सुमति कुमति सब कें उर रहहीं।

नाथ पुरान निगम अस कहहीं॥

जहाँ अच्छी बुद्धि होती है, वहाँ सुख-संपत्ति का वास होता है, जबकि कुबुद्धि विपत्तियों को जन्म देती है।

 

👉 बिनु सत्संग विवेक न होई।

राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥

सत्संग के बिना विवेक संभव नहीं और रामकृपा के बिना सत्संग भी दुर्लभ है।

 

👉 जा पर कृपा राम की होई।

ता पर कृपा करहिं सब कोई॥

जिस पर प्रभु राम की कृपा होती है, उस पर सबकी कृपा स्वतः हो जाती है।

 

👉 धीरज धरम मित्र अरु नारी।

आपद काल परखिये चारी॥

धैर्य, धर्म, मित्र और नारी की वास्तविक पहचान विपत्ति के समय होती है।

 

👉 रघुकुल रीत सदा चली आई।

प्राण जाए पर वचन न जाई॥

रघुकुल की परंपरा रही है – प्राण भले चले जाएँ, लेकिन वचन की मर्यादा कभी नहीं टूटती।

 

👉 मंगल भवन अमंगल हारी।

उमा सहित जेहि जपत पुरारी॥

श्रीराम का नाम मंगलमय है, अमंगल को हरने वाला है, जिसे स्वयं भगवान शिव भी पार्वती सहित जपते हैं।

इन चौपाइयों का सार यही है कि सत्संग, भक्ति, मर्यादा और प्रभु के प्रति श्रद्धा ही जीवन को सच्चे सुख और शांति की ओर ले जाती है।

 

जय श्री हरि!

जय सियाराम!

 

✍️ अशोक जोशी

प्रदेश मंत्री – भारतीय

बजरंगदल

अध्यक्ष – गोला तीर्थ कल्याण समिति

 

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